एक प्रेत का सच्चा प्यार
अभी अभी उस पर यौवन की बहार आनी शुरू हुई थी।
सुंदर सुगठित शरीर सुंदर नक्स हिरणी सी आँखे जो किसी को भी
एक पल में आकर्षित कर लें।
पर कुछ अलग स्वभाव था जो इस उम्र की लड़कियों में कम पाया जाता था।
गर कोई उसे हसरत भरी नजरों से देखता तो उसे बहुत गुस्सा आता
प्यार मुहब्बत उसे रास न आती थी।
संग की सभी लड़कियों का कोई न कोई बॉय फ्रेंड था पर उसका
इन सब बातों से खून खोलता था ।
जब सहेलियां उससे छेड़ती वह यही कहती इन बेकार की बातों का समय नहीं है मेरे पास न इनमें से कोई भी है मेरे लायक
सब कहते हां तुम्हारे लिए तो आसमान से उतरेगा कोई
वह कहती बिल्कुल देखना तुम सभी जल जाओगी उसे देखकर।
पर कहीं कुछ तो था जिसे वह अपने आस पास महशूस करती थी।
गर्मियों के दिनों में शाम को घर का काम निपटा कर
लम्बी दो चोटियां बनाकर आँखों में काजल लगाकर छत की मुंडेर पर पेर लटका कर बैठ जाती यह उसका रोज का नियम था।
या अपने घर के आगे बहते तालाब के किनारे सभी भाई बहनों के साथ
बैठकर सभी बतियाते थे।
पर कुछ दिन से सब बदल गया वह चुप चुप रहने लगी थी।
एक वार रात में उसकी तबियत बिगड़ गई साँस लेने में परेशानी हो रही थी
डॉक्टर के पास ले गये उन्होंने कहा इसकी साँस की नली फट गई है कहीं बाहर ले जाओ।
जल्दी से पास के शहर ले जाने की तैयारी हुई शहर पहुँचने में एक घन्टा लगा ।
डॉक्टर ने एडमिट करके उपचार शुरू कर दिया
दो दिन में हालत ठीक हो गई पर डॉक्टर कोई बीमारी कायम न कर सका
छुट्टी कराके घर आ गई।
पर अब वो उदास रहने लगी सबको उसकी बहुत चिंता रहती ।
माँ पापा की लाड़ली थी और सभी घरबाले भी उसे प्यार करते थे।
न जाने उसे क्या हो गया ।
ऐसा लगता भरी बहार में किसी ने कली को खिलने से
पहले तोड़ दिया हो।
एक बार एक पंडित को उसे दिखाया उन्होंने कहा इसपे किसी आत्मा का साया है इसे मेंहदी पुर बालाजी ले जाओ।
यह सुनकर सब घबड़ा गये जबान लड़की को क्या हो गया
फिर आखिर में बहां जाने का निर्णय हुआ।
सुबह पांच बजे बस से माँ पाप एक दो और लोगों के साथ
रवाना हुए।
सफर काफी लंबा था ।
शाम छै बजे पहुचना हुआ बड़ी रोनक थी छोटे से पहाड़ी के मध्य बस था मेंहदी पुर ।
हाथ मुँह धोकर मंदिर कल दिये आरती का समय हो गया ढोल नगाड़ों की ध्वनि के साथ आरती होने लगी आस पास खड़े कुछ व्यक्ति झूमने लगे कुछ चीखने लगे अजब गजब की हरकतें देखकर मन डरने लगा।
पता नहीं ऐसा क्या हुआ वह भी जोर से झूमने लगी
उन सभी की तरह चीखने। लगी जोर जोर से सिर पटकती
मुझे छोड़ दो कहने लगी।
एक अदभुत चमत्कार था बहां कोई दिखता न था पर सभी कहते अब मत मारो गलती हो गई छोड़ दो बाबा।
सब कहते यह दुष्ट आत्माओं की पिटाई हो रही है बाबा के दरबार में।
एक अलग नई नजारा देखने को मिलता आरती के समय आरती होते ही कुछ ठीक हो जाते कुछ वैसे ही चीखते रहते ।
दो तीन दिन इसी क्रम से निकल गये।
फिर किसी ने कहा बड़े महंत को दिखा दो वह बता देगें क्या बात है ।
कुछ देर में बराबर बाले हाल में बैठेगें
बारी बारी से देखते हैं।
एक लाइन में सबको बिठाया गया एक करके सब अंदर जाने लगे अब उसकी बड़ी थी
महंत जी ने उसे देख और जो भी बताया वह बहुत ही भयावह था ।
मन मानने को तैयार न था पर मानना पड़ा ।
उन्होंने कहा इस लड़की पर एक जवान लड़के की आत्मा का साया है
अर्जी पेशी लगानी होगी तभी खुलकर आयेगा ।
सब जो कहते गए घरबाले भी करते गये।
एकदिन लड़की चीखने चिल्लाने लगी में इसे छोड़कर नही जाऊंगा में इसे बहुत प्यार करता हूं मुझे इसके साथ ही रहने दो।
में किसी को परेशान नही करूँगा।
फिर महंत ने पूछा तुम को कहाँ से आये हो
वह वोला में अपने माँ बाप का अकेला बेटा था एक दुर्घटना का शिकार हो
गया मेरा नाम अजय प्रताप है।
यह लड़की गंगा नहाने गई मुझे अच्छी लगी में इसके साथ रहने लगा
जब से में इसके साथ रह तब से ही इसके व्यवहार में परिवर्तन हो गया।
अब में इसे नहीं छोड़ सकता। मैने इससे विवाह कर लिया है।
हर रात में इसे दुल्हन की तरह सजाकर अपने साथ ले जाता था।
तुम मुझे इससे अलग मत करो।
उसकी।बात सुनने के बाद महंत ने जोर जोर से हनुमान चालीसा पड़ना आरम्भ कर दिया ।
भ जितनी जोर से पड़ते लड़की उतना ही जोर से चीखने लगी और सिर पीटकर बेहोश हो जाती।
फिर होश में आते ही कहने लगी मुझे अलग मत
करो में इसके बिना जी न पाऊंगा ।
यह क्रम की दिन चला ।
अगले दिन अमावस की रात थी सभी तैयार थे एक बड़े हवन को लेकर।
फिर महंत बताने लगे यह आत्मा वाकई इस लड़की को बहुत चाहने लगा है।
यह अपनी अकाल मौत के कारण प्रेत बन गया है
उन प्रेत लोग हम इंसानों से कहीं ज्यादा रिश्ते निभाने वाले होते हैं।
अपने जीते जी यह इसे नहीं छोड़ेगा
हमे इसे आज अमावस्या की रात खत्म करना होगा ।
लड़की वहीं कुछ दूर बैठी सब सुन रही थी
और उसके कानों में अपनी सहेलियों की बाते गूँजने लगी।
तेरे लिये कोई आसमान से उतरेगा
लड़की की आँख से आँसूवह रहे थे।
तभी उड़की माँ उसे हवन पर ले गई एक एक आहुति के साथ मन्त्रो उच्चारण के साथवह नष्ट होने लगा ।
चीखकर यही कह रहा था मुझे इससे अलग मत करो
भले ही मार दो में इसके बिना जी न पाउँगा।
महंत ने कहा हम तुम्हारी जान बख्स देगें
तुम कसम खाके के कहो इस लड़की को छोड़ दोगे।
वह बोला मुझसे इसे छोड़ने को न कहो
चाहो तो बेसक मुझे मार दो।
महंत ने कहा अब भी सोच लोपर वह अपनी जिद से एक पल भी न
डिगा हम तुम इंसानों की तरह नहीं हैं।
हम तो बस एक से ही प्यार करते हैं गर वह नहीं तो जीवनक कोई
मतलब नहीं।
फिर महंत ने तेजी से मन्त्रो उच्चारण प्रारम्भ कर दिया
और कुछ ही देर में सबने देखा लड़की के शरीर से आज लाल जोति
निकलकर उस हवन कुंड में शमां गई।
लड़की बेहोश होकर एक तरफ गिर पड़ी।
सुबह वह उठी तो अपने लिये कुछ हल्का महशूस कर रही थी।
सुबह सब मन्दिर गये आरती की ।
महंत से मिले उन्होंने लड़की के सिर पर हाथ फिराया
और कहा जाओ अब तुम पूणता स्वस्थ हो।
वापस अपने घर लौट जाओ।
सभी खुशी खुशी घर को रवाना हुए।
बस में बैठते बख्त जितनी तेजी से बस की रफ्तार बढ़ती जाती
मेहंदीपुर पीछे छूटता जाता।
मन बस इसी सोच से दो चार रहा पूरे सफर काश तुम
एक इंसानी रूप में मुझे मिले होते तो में तुम्हारी मुहब्बत को
हमेशा के लिये अपने साथ रखती।
ईश्वर से यही प्राथना है अगले जन्म में तुम्हें इंसान बनाकर मेरे पास भेज दे ताकि इस जन्म में तुम्हारी मुहब्बत पूरी हो सके।
Aliya khan
01-Sep-2021 12:32 PM
Nice
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🤫
29-Aug-2021 10:58 AM
कुछ अलग कहानी, इंटरेस्टिंग भी
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Seema Priyadarshini sahay
29-Aug-2021 12:41 AM
बहुत खूबसूरत
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